भारत में हर पर्व और त्यौहार के पीछे कोई न कोई आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारण अवश्य होता है। शरद पूर्णिमा भी ऐसा ही एक खास दिन है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य और विज्ञान के दृष्टिकोण से भी अत्यंत खास माना जाता है। इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण रूप में चमकता है, और उसकी चांदनी में रखी खीर का सेवन बेहद शुभ माना जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे — शरद पूर्णिमा का महत्व, इसकी पौराणिक मान्यताएं, खीर रखने का शुभ मुहूर्त, और इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण।
शरद पूर्णिमा क्या है?
शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह वह दिन होता है जब वर्ष में पहली बार चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप में दिखाई देता है। माना जाता है कि इस दिन की चांदनी अमृत के समान होती है, जो शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रचाई थी। यही कारण है कि इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस रात को देवी लक्ष्मी की पूजा और चंद्रमा के दर्शन करने का विशेष महत्व बताया गया है।
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का दिन – माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और उन लोगों के घरों में जाती हैं जो जागकर उनकी पूजा करते हैं। इसलिए इस रात को कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है, जिसका अर्थ है — “कौन जाग रहा है?”
चंद्र देव की आराधना – इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। चंद्रमा हमारे मन और भावनाओं का प्रतीक है, इसलिए उसकी आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
रासलीला का पर्व – धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ दिव्य रास रचाया था। इसलिए यह दिन भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
शरद पूर्णिमा 2025: खीर रखने का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – शरद पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2:23 बजे से शुरू होकर अगले दिन 7 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:11 बजे तक रहेगी।
खीर रखने का सही समय – चांदनी का प्रभाव रात 10:00 बजे से लेकर 12:00 बजे के बीच सबसे अधिक होता है। इसलिए इस अवधि में खीर को खुले आकाश के नीचे, चांद की रोशनी में रखना शुभ माना गया है।
विधि:
- खीर को दूध, चावल और मिश्री से बनाएं।
- इसे चांदी या मिट्टी के पात्र में रखें।
- रात 10 बजे से 12 बजे के बीच चांदनी में रख दें।
- अगले दिन सुबह यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें या परिवार में बांटें।
माना जाता है कि इस खीर में चांदनी के अमृत तत्व समा जाते हैं, जो शरीर को रोगमुक्त और मन को शांत रखते हैं।
शरद पूर्णिमा और खीर रखने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो शरद ऋतु में मौसम परिवर्तन के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। इस समय चांदनी में रखी ठंडी खीर का सेवन करने से शरीर को ठंडक मिलती है और पेट संबंधी विकारों से राहत मिलती है। इसके अलावा, वैज्ञानिकों का कहना है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव न्यूनतम होता है, जबकि कैल्शियम और फॉस्फोरस तत्वों की मात्रा अधिक होती है। ये तत्व खीर में समा जाते हैं, जिससे वह पौष्टिक बन जाती है।
शरद पूर्णिमा पर क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- देवी लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करें।
- रात्रि में जागरण करें और भक्ति संगीत गाएं।
- खीर बनाकर चांदनी में रखें और अगली सुबह सेवन करें।
- जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।
क्या न करें:
- इस रात झगड़ा या क्रोध न करें।
- झूठ बोलने या नकारात्मक विचारों से बचें।
- अधिक तैलीय या भारी भोजन का सेवन न करें।
शरद पूर्णिमा की आध्यात्मिक ऊर्जा
शरद पूर्णिमा की रात को सकारात्मक ऊर्जा का संचार सबसे अधिक होता है। योग और ध्यान करने वालों के लिए यह अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन ध्यान करने से मन की अशांति दूर होती है और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति और मानव शरीर के सामंजस्य का प्रतीक है। इस रात की चांदनी में रखी खीर सिर्फ प्रसाद नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मानी जाती है। तो इस शरद पूर्णिमा पर आप भी चांद की ठंडी रोशनी में खीर रखें, देवी लक्ष्मी की पूजा करें और इस दिव्य रात्रि के शुभ फलों का आनंद लें।